Aalhadini

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Murder or trap 8

  सेलों टेप को खोलते खोलते उसके अंदर एक अखबार का टुकड़ा दिखाई दिया। उस अखबार के अंदर 3 दो हजार के नोट रखे थे.. और साथ में रखी थी एक छोटी सी चिट..!!

 
रूद्र ने उस चिट को खोल कर देखा और पढ़ते-पढ़ते उसकी आंखें अचंभे से फैल गई थी। 

"ऐसा भी क्या लिखा है इसमें.. जो तेरी शक्ल पर पढ़ते ही 12:00 बज गए।"  चिराग ने रूद्र को घूरते हुए पूछा।

 रुद्र के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे.. उसने वैसे ही वह चिट मृदुल की तरफ बढ़ा दी.. मृदुल ने भी पढ़ा तो उसके भी एक्सप्रेशन बिल्कुल रुद्र के जैसे ही थे।  मृदुल के हाथ से वह चिट छीन कर चिराग ने पढ़ना शुरू किया।
 
"पापा..!! मैंने बड़ी ही मुश्किल से यह कुछ पैसे जमा किए हैं.. दीप से भी कुछ पैसे मांगे थे पर उसने एक भी रुपया देने से मना कर दिया था।  

मुझे जैसे ही मौका मिलेगा.. आपको मनी ऑर्डर कर दूंगी। मैं कोशिश करती हूं कि एक-दो दिन में और दो या तीन हज़ार रूपये इकट्ठे कर पाऊं। अगर हो गए तो ठीक है.. नहीं तो यही भेज दूंगी। आप प्लीज अपना ध्यान रखिएगा और दवाई टाइम पर खाते रहिएगा। आपकी अनीता…!!!"
 
"इसका क्या मतलब हुआ..??" चिराग ने रुद्र की तरफ देखते हुए पूछा।

 "अब इसका भी मतलब तुझे बताना पड़ेगा..?" मृदुल ने चिराग को जोर से डांटते हुए कहा। 

 "इसका मतलब यह है कि अनीता के पिता बहुत ज्यादा बीमार थे और अनीता उनकी पैसों से मदद करना चाहती थी। लेकिन उसे पैसे इकट्ठे करने में बहुत मुश्किल हो रही थी क्योंकि दीप ने भी उसको पैसे देने से इंकार कर दिया था।" रूद्र ने कहा। 

 "इतना पैसा होते हुए भी अगर किसी औरत को पैसे इकट्ठे करने में मुश्किल हो.. तो इसका यही मतलब निकलता है कि उसके ससुराल वाले उसे बहुत ज्यादा ही परेशान करते हैं। उसकी बेसिक जरूरतों के लिए भी उसे पैसे नहीं दिए जाते।" मृदुल ने पूरी बात समझाते हुए कहा।

 "इसका मतलब यह है कि जो बाहर से हमें बातें पता चल रही है.. वह बिल्कुल सच है।"  चिराग ने कहा।

 "हां तुम ठीक कह रहे हो और इसीलिए हमें जल्दी से जल्दी जितने भी सबूत इकट्ठा कर सके.. हमें वह करने ही होंगे!!" रूद्र ने कहा। 

 " तो फिर अब हम लोगों को बिना समय गंवाए जल्दी ही दीप के घर के लिए निकलना होगा।" चिराग ने कहा।

 "रुको..! उससे पहले रनवीर को कॉल करके हमारे आने के बारे में बता देते हैं।" रूद्र ने कहा। 

"ठीक है..! मैं अभी रनवीर को कॉल करके हमारे आने के बारे में बता देता हूं और उसे यह भी बोल देता हूं कि हम लोग वहां 1 घंटे में वहां पहुंच जाएंगे।" मृदुल ने कहा और अपने फोन से रनवीर को कॉल लगाकर उसे अपने आने के बारे में बता दिया।

तीनों जल्दी घर से अपनी बांटी हुई जगह के लिए निकल गए। 

 रूद्र लगभग 25 मिनट के बाद 11:30 बजे मंदिर पहुंच गया था। उस वक्त भी पुजारी जी पूजा कर रहे थे और वहीं कल वाले बुजुर्ग बाहर बनी बैंचों पर बैठे आपस में बातें कर रहे थे।

 रूद्र ने मंदिर में जाकर मां को नमस्कार किया और फिर से बाहर आकर सीढ़ियों पर बैठ गया। पुजारी ने रूद्र को सीढ़ियों पर बैठा देखा तो वह भी आकर रुद्र के पास बैठ गए और उन्होंने रुद्र से पूछा, "बेटा अनीता का कुछ पता चला??"

 "नहीं बाबा कुछ भी पता नहीं चला कल आप कुछ बता रहे थे.. पर मुझे जल्दी थी। इसलिए मैं निकल गया था.. क्या बता रहे थे आप..??" रूद्र ने पंडित जी से पूछा। 

"क्या बताऊँ बेटा..!! मेरे हाथ में होता तो भगवान से लड़कर भी उस बच्ची के लिए खुशियां ले आता।" पंडित जी की आवाज़ में बहुत दुख नज़र आ रहा था।

"बेचारी..!! हर एक छोटी चीज़ के लिए भी परेशान रहती थी। उसका घर यहाँ से काफी दूर है लेकिन वो पैदल ही आती जाती थी.. इतनी गाड़ियां घर में होते हुए भी।" पंडित जी ने बताया।

"आपको कैसे पता वो पैदल ही आती थी..??" रुद्र ने पूछा।

"वो सामने बैठे बुजुर्गों को देख रहे हों.. वो वहीं रहते हैं.. अनीता के घर के पास। उन लोगों ने कई बार उसे पैदल आते देखकर लिफ्ट देने की बात कही थी पर अनीता ने मना कर दिया था।" पंडित जी ने बताया।

"और कुछ भी पता है आपको अनीता के बारे में..??" रुद्र  ने पूछा। 

 रुद्र और पंडित जी आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी वह सब बुजुर्ग  मंदिर में दर्शन करने आए।  तब पंडित जी रुद्र को अनीता के बारे में बता रहे थे।  

"क्या बताऊं बेटा..! बस सभी की मदद करने के लिए अनीता बिटिया तैयार रहती थी।" पंडित जी ने कहा।

 "क्या बातें हो रही है पंडित जी..?? अनीता के बारे में..??" एक बुजुर्ग ने पूछा। अनीता का नाम सुनते ही सभी बुजुर्ग लोग वहीं सीढ़ियों पर ही रुक गए और यहाँ वहाँ जगह देखकर आसपास ही बैठ गए।

"क्या बात करेंगे हम..?? कुछ भी बोलने लायक ही नहीं रहे??" पंडित जी ने दुखी स्वर में कहा।

"क्या हुआ है.. कुछ बतायेंगे भी..??" एक बुजुर्ग ने पूछा। 

 "बहुत ही बुरा हुआ श्रीवास्तव साहब..!! अनीता बिटिया कहीं गायब है और उसका पति और ससुराल वाले बोल रहे हैं कि वह अपने प्रेमी के साथ.. घर से रुपए, पैसे और जेवर लेकर भाग गई।" पंडित जी ने उन बुजुर्गों को बताया।

 "ऐसा कैसे बोल सकते हैं वह लोग?? इतनी नेक और सुलझी हुई बच्ची के लिए ऐसी बातें बोलते उन्हें शर्म नहीं आती।" शर्मा जी नाम के एक बुजुर्ग ने गुस्से में कहा। 

 "अंकल आप लोग जो अनीता के बारे में बोल रहे हैं.. वो सच है या फिर जो उसके ससुराल वाले बता रहे हैं वो..??" रुद्र ने पूछा। 

 "क्या कह रहे हैं उसके ससुराल वाले..?" श्रीवास्तव जी ने पूछा।"

"वो कह रहे हैं अंकल.. कि अनीता गुस्सैल,  झगड़ालू और बहुत ही बदतमीज किस्म की औरत थी। वो अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकलती थी और ना ही घर के किसी काम में हाथ लगाती थी।"  रूद्र ने उन्हें बताया।

 "झूठ बोल रहे हैं वह सारे के सारे।  बेचारी बच्ची.. पूरे दिन किचन में ही लगी रहती थी। सभी की फरमाइशें पूरी करते हुए और तो और फिर भी बिचारी को ठीक से पेट भर कर खाना भी नहीं मिलता था।"  शर्मा जी ने बताया।

 रूद्र इस नए खुलासे को सुनकर बहुत ही हैरान रह गया था। उसने पूछा, "आपको कैसे पता अंकल??"

 "बेटा उनके घर की एक पुरानी नौकरानी.. एक दिन मुझे मिली थी वही बता रही थी। कह रही थी कि अनीता की हालत बहुत ही बुरी है। उसकी हैसियत घर में एक नौकरानी से भी बुरी है।" शर्मा जी ने बताया।

 "हां बेटा..!! एक बार मंदिर में कोई आयोजन था तब सभी से चंदा इकट्ठा कर रहे थे.. तो बेचारी बच्ची कुछ दे नहीं पाई थी.. इसलिए बहुत दुखी थी।  पर आयोजन के लिए खुद अपने हाथों से प्रसाद बना कर लाई थी.. बहुत ही स्वाद है उसके हाथों में। उनके घर में कोई भी पकवान या मिठाई बाहर से नहीं लाए जाते थे। सभी अनीता को ही बनाने होते थे।"  एक और बुजुर्ग ने बताया।

  "तो आपका कहने का मतलब है कि अनीता पूरे घर का काम करती थी और पूरा दिन उसका रसोई मैं ही बीतता था।" रूद्र ने पूछा। 

 "हां बेटा यही कह रहे थे.. हम..!" श्रीवास्तव जी ने कहा।

"अंकल आप कह रहे थे कि उनकी नौकरानी मिली थी आपको?? आप जानते वो कहां रहती है??" रुद्र ने पूछा। 

 "नहीं बेटा..! हमें तो वह यहीं मंदिर में ही मिली थी।  हम अनीता बिटिया से बात कर रहे थे तो उसने हमसे आकर पूछा था कि मैं अनीता को कैसे जानता हूं??  बताने पर ही उसने अनीता के घर के हालातों के बारे में बताया था।" शर्मा जी ने रूद्र को बताया।  

"अंकल आप लोगों से एक हेल्प चाहिए..!!" रूद्र ने हाथ जोड़कर सभी बुजुर्गों से कहा।

 "बेटा तुम्हें हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है.. हम से जो भी बन पड़ेगा हम तुम्हारे लिए जरूर करेंगे।" एक बुजुर्ग ने कहा।

 "अंकल जी..! अगर आप लोगों को अनीता के बारे में कोई भी जानकारी मिलती है.. वो किसी भी तरह की हो.. आप लोग प्लीज मुझे खबर कर दीजिएगा।  हो सकता है.. आप सभी की एक छोटी सी मदद से हम अनीता को ढूंढ पाए।  मेरा नंबर पुजारी बाबा के पास है.. आप लोग उनसे ले लीजिएगा।" रूद्र ने उन सभी की तरफ देखते हुए कहा। 

 "बिल्कुल बेटा..! हमें कुछ भी पता चलता है.. तो हम तुम्हें जरूर बताएंगे। अनीता बिटिया ने हम सभी के लिए बहुत कुछ किया है.. इतना तो हम अनीता बिटिया के लिए कर ही सकते हैं।" श्रीवास्तव जी ने कहा।

इतनी बात होने के बाद रुद्र उठ खड़ा हुआ और सभी से हाथ जोड़कर जाने की आज्ञा मांगी। 
 
"आप लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद अंकल..! अब मैं चलता हूं..!"  रुद्र ने कहा और वहां से दीप के घर जाने के लिए निकल गया।
   
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दूसरी तरफ चिराग फॉरेंसिक लैब पहुँच गया था। समर तब तक लैब नहीं पहुंचा था इसलिए चिराग को वही बैठकर कुछ देर समर का इंतजार करना पड़ा। समर को आने में काफी देर लग रही थी तो चिराग उठकर बाहर चाय पीते हुए पेंटिंग चुराने की प्लानिंग करने की सोचकर बाहर चला गया।

लगभग आधे घंटे के बाद चिराग चाय पी कर वापस आया.. तब तक समर लैब में पहुंच चुका था। चिराग समर के केबिन की तरफ बढ़ गया। चिराग ने केबिन के गेट पर पहुंचकर नोक किया।

 "कम इन..!!"  अंदर से आवाज आई।

 चिराग दरवाजा खोल कर अंदर चला गया। समर उस वक्त किसी सैंपल की टेस्टिमोनी रिपोर्ट बनाने में लगा हुआ था। समर में गर्दन उठाकर भी नहीं देखा कि कुछ था और वैसे ही चिराग को बैठने के लिए इशारा किया। चिराग समर के सामने ही शांति से कुर्सी पर जाकर बैठ गया। लगभग 10 मिनट बाद रिपोर्ट तैयार हो गई तब समर ने गर्दन उठाकर देखा तो चिराग सामने ही बैठा था।

 समर ने चिराग को देखते हुए कहा, "ओह..! सॉरी..!! सॉरी..!! टेस्ट तो लेट नाइट ही मैंने कर लिए थे पर इतनी रात को मैंने अपडेट देना ठीक नहीं समझा.. इसीलिए सुबह देने वाला था। और सुबह मुझे आने में देर हो गई। समर के आवाज में थोड़ा सा शर्मिंदगी का भाव था।

 "इट्स ओके..! समर बस अब आप फटाफट मुझे बता दीजिए कि रिपोर्ट में क्या आया है..?" चिराग ने पूछा।  

समर ने जो रिपोर्ट फाइल अभी बंद करके एक साइड रखी थी उससे खोलकर चिराग की तरफ बढ़ा दिया।  चिराग ने फाइल खोलकर एक नजर मारी और फिर उसको बंद करते हुए समर से पूछा, "आप मुझे ऐसे ही बता दीजिए कि इसमें क्या है?? मैं अभी के अभी रूद्र को कॉल करके अपडेट दे देता हूं। इस फाइल को बारीकी से हम बाद में पढ़ लेगें।"

 "ओके..!"  कहते हुए समर ने उसकी बात पर अपनी सहमति जाहिर की।  फिर आगे कहना शुरू किया..

 "जो तुमने कल मुझे सैंपल दिए थे.. वह बाल किसी लड़की का था। जो नाखून का टुकड़ा दिया था.. वह भी उसी लड़की का था जिसके बाल का टुकड़ा मुझे दिया था.. पर नाखून अपने आप नहीं टूटा था। उसे जबरदस्ती खींच कर निकाला गया था या फिर हो सकता है वह किसी चीज में अटक कर बाहर निकल गया हो। क्योंकि उस नाखून में हल्के से खून के ट्रसेज् मिले हैं।"

 चिराग शांति से समर की बातें सुन रहा था।  समर ने फिर आगे कहा, "कुछ जो धागे के टुकड़े दिए थे.. वह किसी लेडी की ड्रेस का धागा था। शिफॉन के धागे थे.. शिफॉन लेडीज गारमेंट्स में ही यूज़ होता है.. इसीलिए यह मानना है मेरा कि  किसी लेडीस की ड्रेस में से फंस कर धागा निकला होगा।"  तीसरे पैकेट के बारे में समर ने बताया।

 चौथे सैम्पल के बारे में समर ने कहा, "वह मिट्टी का  सैम्पल किचन गार्डन एरिया का है.. क्योंकि उस मिट्टी में वर्मी कंपोस्ट और किचन वेस्ट थे तो हो ना हो वह मिट्टी किचन गार्डन की है।  पर उस मिट्टी को देखकर एक बात और बताई जा सकती है कि वह किचन गार्डन.. टेरेस, बालकनी या फिर किसी गमले की नहीं थी। वह मिट्टी जमीन के कुछ अंदर खुदाई करने के बाद निकली होगी साथ ही उसमे कुछ नमक जैसा पदार्थ भी मिला है.. जो मिट्टी में डाला गया होगा।"
 
चिराग के लिए यह सब खुलासे नए थे.. चिराग ने उठते हुए समर से हाथ मिलाया और फाइल लेकर बाहर निकलने ही वाला था कि पीछे से समर ने आवाज दी, "सुनो चिराग..!!"

 चिराग एकदम से पीछे पलटा और समर से पूछा, "हां समर..! बताइए क्या बात है??"
 
"एक बात तो मैं तुम्हें बताना ही भूल गया।" समर ने कहा।

 "जी..! क्या बात थी.. बताइए..?"  चिराग ने अंदर आते हुए पूछा।
 
"जो तुम लोग सैंपल देकर गए थे.. उसमें एक सैंपल और भी था.. उसमें कुछ लाल रंग का पदार्थ था।"  समर ने कहा।

 "हां..! मैंने भी देखा था.. आपने उसके बारे में तो कुछ बताया नहीं..?" चिराग ने वापस केबिन में अंदर आते हुए कहा।

 "हां वह चीज सूखा हुआ खून थी और वह खून,  बाल और नाखून किसी एक ही औरत के थे। डीएनए रिपोर्ट के हिसाब से वह तीनों सैंपल एक ही औरत के थे।"  समर ने अपनी बात पूरी की।
 
इतना कहने पर चिराग ने समर से हाथ मिलाया और उसे कहा, "थैंक्स समर..! थैंक्स कि तुमने इतनी जल्दी हमारे लिए रिपोर्ट तैयार कर दी है। होप कि हमने तुम्हें बहुत ज्यादा परेशान नहीं किया!!"  चिराग ने शिष्टाचार के नाते कहा।

 "नहीं..! नहीं यह तो मेरा काम है!" समर ने जवाब दिया। 

 "तो फिर बहुत अच्छी बात है। अब तक ज्यादा परेशान हमने नहीं किया पर शाम तक या कल हम तुम्हें फिर से परेशान करने आ जाएंगे।" ऐसा कहते हुए चिराग ने एक स्माइल समर को दी और वह तेजी से लैब से बाहर निकल गया।

लैब से बाहर आते ही चिराग ने रूद्र को फोन लगाया और सारी बातें शॉर्ट में रुद्र को बता दी। उसके बाद चिराग ने मृदुल को कॉल किया।
 
उस वक्त मृदुल अंजू से पूछताछ कर के उनके कमरे से बाहर ही निकला था कि चिराग के काॅल आने पर वो एक साइड चला गया और चिराग से बात करने लगा। 

 चिराग ने कहा, "मृदुल फॉरेंसिक की रिपोर्ट आ गई है। उसके हिसाब से बाल, नाखून और खून किसी लड़की का है और जो धागे तुम्हें घड़ी में फंसे मिले थे.. वह धागे भी किसी लड़की की ड्रेस यह जो शिफॉन से बनी होगी के हैं। सबसे लास्ट जो मिट्टी हमने इसे दी थी.. वह यह बता रहा है कि मिट्टी किचन गार्डन की होगी और वह गार्डन भी छत पर,  गमले पर या फिर कहीं बालकनी में बनाया हुआ नहीं था। वह मिट्टी जमीन के थोड़ा नीचे खोदने पर निकली हुई होगी।"
 
इतना सुनते ही मृदुल के एक्सप्रेशन थोड़े से चेंज हुए। फिर उसने कहा,  "ठीक है..! तो फटाफट से यहां पहुंच.. रुद्र भी थोड़ी देर में पहुंचने ही वाला है।"  ऐसा कहकर चिराग ने फोन काट दिया।

 चिराग ने अपने फोन से कैब बुक की और दीप के घर के लिए निकल गया।  मेन गेट पर कैब में चिराग को बैठे देखा तो गार्ड ने उस गाड़ी को नहीं रोका और अंदर जाने दिया।  दीप के बंगले के बाहर चिराग ने कैब रुकवाई और उसे पैसे दे दिए। जब चिराग कैब वाले को पैसे दे रहा था.. तभी रुद्र भी वहां पहुंच गया था। 

रुद्र के वहां पहुंचते ही चिराग रुद्र की कार में बैठ गया। 
 दीप के घर के चौकीदार ने उन दोनों को देखते ही बंगले का गेट खोल दिया और रूद्र ने अपनी कार आगे बढ़ा दी।

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वहीं दूसरी तरफ फ्लैट से निकलने के 1 घंटे बाद मृदुल दीप के घर पहुंच गया और वहां उसने सभी से फिर से एक नए सिरे से सवाल जवाब पूछने के लिए अपने मन में सवालों की लिस्ट बनाना शुरू कर दिया था।
दीप के घर पर पहुंचते ही मृदुल को रनवीर आज भी दरवाज़े पर ही मिल गया था।

"रनवीर जी..! होप के आपने मेरे आने के बारे में सभी को बता दिया होगा।" मृदुल ने पूछा.. और रनवीर के साथ घर के अंदर की ओर चलने लगा।

"जी इंस्पेक्टर..! सभी आप ही का वेट कर रहे हैं।  आप बता दीजिए कि आप सबसे एक साथ ही बात करना चाहते हैं या फिर एक एक से अलग अलग..?" रनवीर ने मृदुल के साथ घर के अंदर जाते हुए पूछा।

"मेरे हिसाब से सबसे अलग अलग बात करना ही ठीक रहेगा।" मृदुल ने कहा।

अब तक वो दोनों बातें करते हुए  हॉल में पहुंच चुके थे। हॉल में लगे सोफ़े पर दीप के दादा जी बैठे हुए थे। 

वो एक लगभग 75 वर्षीय, चुस्त-दुरुस्त और मस्तमौला किस्म के बुजुर्ग दिखाई दे रहे थे। पहनावे से उन्हें देख कर कोई भी एक 75 वर्ष का बूढ़ा आदमी नहीं बता सकता था।  फिटेड टीशर्ट और लोअर पहनकर सोफ़े पर बैठे न्यूज पेपर पढ़ रहे थे और उनके सामने ही वेजिटेबल जूस और फ्रूट सैलेड रखा हुआ था।
रनवीर और मृदुल दोनों ही उनके सामने जाकर खड़े हो गए।
 
 "दादाजी..! यह इंस्पेक्टर मृदुल है.. अनीता के मिसिंग केस को यही इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं।" रनवीर ने मृदुल की तरफ इशारा करते हुए कहा। 

रनवीर की बात सुनकर उन्होंने अखबार अपने सामने से हटाया तो मृदुल उन्हें देखता ही रह गया। लगभग 75 साल की एज में भी वह काफी स्मार्ट दिख रहे थे।  नो डाउट.. कि अखिल,  दीप और जीत के इतने स्मार्ट और डेशिंग होने का रीजन क्या था??

 मृदुल को आपकी तरफ ऐसे देखाता देख उन्होंने मजाक में कहा, "क्या बात है इंस्पेक्टर..? आज कल वर्क लोड बहुत ज्यादा बढ़ गया लगता है..?" 

यह सुनकर मृदुल थोड़ा कंफ्यूज्ड दिख रहा था।  रनवीर को यह बात सुनकर जोरदार हंसी आ गई। रनवीर को ऐसे हंसता देख मृदुल कंफ्यूज्ड सा कभी दीप के दादाजी को तो.. कभी रनवीर को देख रहा था।
 जब उसे समझ नहीं आया तो उसने कहा, "सॉरी सर..!! मतलब??"

मृदुल के इतना कहते ही दादाजी और रनवीर फिर से हंस पड़े। फिर दीप के दादाजी ने कहा, "इंस्पेक्टर साहब..! मेरे कहने का मतलब यह है कि आजकल आप अपने केसेज् में इतने ज्यादा बिजी हो कि अपनी पर्सनल लाइफ को भूल गए हो।"

 मृदुल को कुछ भी समझ में नहीं आया था।  उसनें फिर से कंफ्यूज होते हुए दीप के दादाजी की तरफ देखा तो वह फिर से हंसने लगे और उन्होंने मृदुल को सामने बैठने का इशारा करते हुए कहा, "मेरे कहने का मतलब यह है की इतने ज्यादा बिजी होने की वजह से ही तुम्हारी पर्सनल लाइफ मैं कोई भी नहीं है।  इसीलिए ही तो तुम मुझे इस तरह से घूर रहे थे।"

  मृदुल को जब दीप के दादाजी की बात समझ आई तो वह हल्का सा नर्वस हो गया और ब्लश करने लगा।

 "देखो तो इंस्पेक्टर साहब यहां इन्वेस्टिगेशन के लिए आए थे पर वह तो खुद इन्वेस्टिगेशन भूलकर ब्लश कर रहे हैं।"  दीप के दादा जी ने कहा और रनवीर और दीप के दादाजी हंसने लगे।  मृदुल भी हल्का सा मुस्कुरा कर रह गया। 

 रनवीर ने कहा, "सॉरी इंस्पेक्टर..! दादाजी की मजाक करने की आदत है।"
 
"इट्स ओके..! मुझे बुरा नहीं लगा।" मृदुल ने सामने सोफे पर बैठते हुए कहा।

 "सर..! अगर आपको प्रॉब्लम ना हो तो मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूं।" मृदुल ने दीप के दादा जी से सवाल किया।

 "इंस्पेक्टर..! फॉर्मेलिटीज छोड़ो और नॉर्मल होकर ही बात करते हैं।"  दीप के दादाजी ने कहा।

 "ओके दादा जी..! तो बताइए.." मधुर के इतना बोलते ही दीप के दादाजी ने उसे टोक दिया। 

"दादाजी नहीं अधिराज..!! अधिराज नाम है मेरा..! तो अगर तुम अधिराज कह कर ही पुकारोगे तो मुझे अच्छा लगेगा।"  दीप के दादाजी ने कहा।

 उनके ऐसा कहते ही मृदुल ने कन्फ्यूजन में रनवीर की तरफ देखा तो वह गर्दन नीचे करके मुस्कुरा रहा था। 

 मृदुल ने उनसे कहा, "सॉरी..! मैं आपका नाम लेकर कैसे पुकार सकता हूं?"

 "जैसे सब बुलाते है.. वैसे तुम भी बुला लेना। अगर मुझसे कुछ जानना चाहते हो तो नाम लेकर ही पुकारना होगा। अब इतना भी बुढ़ा थोड़ी हूं कि सब लोग दादाजी बोले।"  ऐसा कहकर दीप के दादाजी जोर से हंस पड़े।

 मृदुल भी हल्का सा मुस्कुरा दिया और रनवीर की तरफ देखा। रनवीर ने अपने जाने का इशारा किया और वह चला गया।

 "सो अधिराज जी..! आप लोग अनीता को कब से जानते हैं??" मृदुल ने पूछा। 

 "पहले से तो हम लोग अनीता को नहीं जानते थे। दीप ने उससे अपनी पसंद से शादी की थी। बस तभी से हम लोग उसे जानते हैं।"  अधिराज जी ने मृदुल से कहा।

 "अनीता का स्वभाव कैसा था?? मतलब वह घरवालों से घुली मिली थी या नहीं..??" मृदुल ने पूछा।

 "पता नहीं बेटा शुरु शुरु में तो बहुत अच्छे से बात करती थी.. पर धीरे-धीरे उसने सभी से बोलना कम कर दिया था। मैं भी घर पर कम ही रहता हूं.. मुझे घूमने फिरने का काफी शौक है। जवानी तो पूरी बिजनेस खड़ा करने और संभालने में ही निकल गई। अब वक्त मिला है तो अपने शौक पूरे कर रहा हूं।" अधिराज ने मृदुल को बताया। 
 
"तो फिर आपकी वाइफ अवंतिका जी भी आपके साथ ही जाती होंगी??"  मुकुल ने पूछा।

 "कहां बेटा..? अवंतिका जी को अपनी सत्ता बहुत ही ज्यादा प्रिय हैं.. इसीलिए वह घर से बाहर बहुत कम है जाती हैं। बस केवल साल में दो या तीन बार हमारे गुरु जी के आश्रम में जब कोई आयोजन होता है.. तभी कुछ दिनों के लिए घर से बाहर निकलती है।" अधिराज ने बताया। 

 "मतलब वह बिल्कुल घर से बाहर नहीं जाती??" मृदुल ने आश्चर्य से पूछा। 

 "जाती है ना. ! अपनी किटीज् में, सोशल गैदरिंग्ज में और अपने एनजीओ की मीटिंग्स में।  उसके अलावा वह कहीं और नहीं जाती।" अधिराज जी ने बताया। 

 "एक लास्ट क्वेश्चन..! आपको क्या लगता है.. अनीता आपके घर से कैश और ज्वेलरी लेकर अपने प्रेमी के साथ भागकर गई होगी?" मृदुल ने पूछा।

 "मुझे नहीं लगता.. अनीता जैसी बच्ची ऐसा कुछ कर सकती है.. पर फिर भी किसी के पेट में घुस कर तो नहीं देखा जा सकता। इसीलिए मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।" अधिराज ने कहा।

"अनीता के आपकी वाइफ अवंतिका जी और उसकी सास अंजू जी के साथ रिलेशंस कैसे थे..?? कोई झगड़ा या मनमुटाव..??" मृदुल ने अपने सवाल बदलते हुए पूछा।

"मेरे सामने तो ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ था। हाँ..! कभी-कभी थोड़ी बहुत खटपट के बारे में पता चलता रहता था लेकिन छोटी मोटी बातें तो हर घर में होती ही है.. इसीलिए कभी मैंने उन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।" अधिराज जी ने सास बहु की लड़ाई की संभावना को स्वीकार नहीं किया था तो नकारा भी नहीं।

 "अधिराज जी..! क्या कोई ऐसी बात है.. जो आपको लगता है कि हमें पता होनी चाहिए या फिर आपके ध्यान में कोई ऐसा इंसिडेंट हो जिससे हमें अनीता का पता लगाने में आसानी हो??" मृदुल ने अपना अंतिम प्रश्न पूछा।

 "मेरे हिसाब से एक बार आप उसके पापा के घर पता करवा लीजिए  हो सकता है वही गई हो.. क्योंकि वो काफी दिनों से अपने पापा से मिलने जाना चाहती थी। मैंने उसे कई बार कहा भी कि जाओ मिल आओ..! पर पता नहीं कभी गई क्यों नहीं..?" अधिराज जी ने कहा।

 "ओके सर..! मुझे बस इतना ही पूछना था और कुछ जानना होगा तो मैं आपसे फिर से बात करने आ जाऊंगा। आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी..?" मृदुल ने पूछा। 

 "नहीं नहीं बिल्कुल नहीं होगी.. अगर मैं घर पर हूं  तो तुम मुझसे मिलकर जो भी जानना चाहते हो जान सकते हो। पर अगर मैं घर पर नहीं हूं.. तो तुम चाहो तो मुझे कॉल कर सकते हो।" अधिराज जी ने कहा।

"अब मैं चलता हूं..! आपसे मिलकर खुशी हुई।" कहते हुए मृदुल उठ खड़ा हुआ और उसने अपना हाथ अधिराज जी की तरफ बढ़ा दिया।

"मुझे भी..!" अधिराज जी ने भी उठकर मृदुल का हाथ थाम कर हाथ मिलाते हुए कहा।

मृदुल बात करके उठ खड़ा हुआ तब तक रनवीर भी वहां आ गया था। रनवीर ने कहा,  "इंस्पेक्टर अब आप चाहे तो दादी मां से सवाल कर सकते हैं। वह अपने रूम में ही आपका वेट कर रही है। आइए..! मैं आपको उनके रूम तक छोड़ देता हूं।"  ऐसा कहकर रनवीर ने मृदुल को अपने साथ चलने का इशारा किया। 

 हाॅल के लेफ्ट हैंड साइड का रूम अवंतिका जी का कमरा था। उस कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था। दरवाजे पर पहुंचकर रनवीर ने दरवाजा नाॅक किया और पूछा, "दादी..! इंस्पेक्टर मृदुल आ गए हैं..!!"

 अंदर से आवाज आई,  "भेज दो..!!" 

रनवीर ने मृदुल को अंदर जाने का इशारा किया और खुद वहीं से वापस लौट गया। दरवाजा खोल कर मृदुल ने अंदर कदम रखा तो वह उस कमरे को देखते ही रह गया। 

 एक बड़ा सा कमरा जिसके सेंटर में एक बहुत ही बड़ा और ऊंचा.. रॉयल स्टाइल में बना हुआ बेड रखा था। उसके एक साइड इड रॉयल स्टाइल में बनी हुई रॉकिंग चेयर रखी थी.. जिस पर अवंतिका जी बैठकर कोई बुक पढ़ रही थी।  उसके सामने एक काउच रखा हुआ था.. काउच के ऑपोजिट साइड वॉडरोब बनी हुई थी और  वार्डरोब में ही ड्रेसिंग टेबल अटैच्ड थी। पूरा रूम वाइट और गोल्डन कलर के कॉन्बिनेशन से डेकोरेटेड था। वाइट और गोल्डन के कंबीनेशन में परफेक्ट लगने वाले ब्लू कलर के पर्दे खिड़की और दरवाजों पर लगे हुए थे। 

 जहां पर वह रॉकिंग चेयर रखी थी.. उसके पास एक छोटा सा बुक शैल्फ बना हुआ था। अवंतिका जी की नजर रूद्र पर पड़ी तो उन्होंने इशारा करते हुए मृदुल को सामने रखे काउच पर बैठने के लिए कहा।  मृदुल सामने जाकर काउच पर बैठ गया  लगभग 15 मिनट तक अवंतिका जी उस बुक को पढ़ती रही.. उसके बाद उन्होंने एक पेज पर बुकमार्क रखा और साइड में बनी बुक शैल्फ परफोकस बुक ले जाकर रख दी।

 फिर मृदुल से पूछा, "इंस्पेक्टर..! मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया था कि अनीता के बारे में जो भी कुछ पूछताछ करनी है.. वह तुम घर के बाकी सदस्यों से कर सकते हो। मैं उसके बारे में कुछ भी नहीं बोलना चाहती?" अवंतिका जी के चेहरे पर यह कहते हुए घृणा के भाव थे।

मृदुल ने उन्हें कहा, "सॉरी मैडम..! यह लास्ट बार है जब मैंने आपको तकलीफ दी है। बस मुझे अपने एक दो सवालों के जवाब चाहिए।"

 "ठीक है..! पूछो क्या पूछना चाहते हो!!" अवंतिका जी ने वापस अपनी रॉकिंग चेयर पर बैठते हुए कहा।

 "मैडम अनीता का घर से बाहर आना जाना बहुत ज्यादा था क्या?? मतलब आपको तो बोलकर ही जाती होगी कि कब, कहां और किससे मिलने जा रही है??" मृदुल ने सवाल किया। 

 "नहीं वह कभी भी किसी से भी पूछ कर आती-जाती नहीं थी। ना ही किसी को बताती थी कि कहां जा रही है और किससे मिलने जा रही है?? कई बात पूछने पर भी नहीं बताती थी.. ज्यादा कहने पर अपनी वही छोटे घर वाली हरकतें करने लगती थी।" उन्होंने अजीब से हिकारत भरे भावों से कहा। 

 "मतलब. ?? किस तरह की हरकतें..?" मृदुल ने असमंजस से पूछा। 

 "वहीऽऽ चीखना, चिल्लाना.. सामान तोड़ना फोड़ना और क्या..?"  अवंतिका जी ने मुंह बनाते हुए कहा।

 "अच्छा..! एक बात बताइए?? अनीता अधिकतर समय अपने कमरे में ही रहती थी या फिर और भी कहीं रहती थी??  मतलब उसका अधिकतर समय उसके कमरे के अलावा और कहां बीतता था??"  मृदुल ने सवाल किया। 

 "कहां बीतेगा..? पूरा दिन अपने कमरे में ही पड़ी रहती थी।  वैसे भी इतने सारे नौकर चाकर हैं तो हमने भी उससे कभी किचन में जाने के लिए नहीं कहा।" अवंतिका ने घमंड से जवाब दिया।

 "एक और सवाल मैडम..!"  मृदुल ने  कहा। 

"इंस्पेक्टर मैं जितने सवालों का जवाब दे सकती थी.. मैं उनका जवाब दे चुकी हूं। इसलिए इससे आगे के सवालों के जवाब मैं नहीं दूंगी तुम्हें..! अब आप जा सकते हैं..!!"  अवंतिका ने मृदुल को बाहर जाने के का इशारा करते हुए कहा।

 मृदुल चुपचाप उठकर बाहर जाने लगा.. लेकिन उस कमरे में रखे सोफे के पाये के पास उसे कुछ चमकती हुई चीज दिखाई दी। मृदुल ने नीचे झुक कर उसे उठाया.. तो वह एक नोज रिंग थी.. जो मृदुल को कुछ जानी पहचानी सी लगी।  उसने उठाकर चुपके से अपनी जेब में रख ली और पीछे मुड़कर देखा.. तो अवंतिका जी बुक शैल्फ में से कोई बुक निकाल रही थी। मृदुल ने वापस अपनी जेब की तरफ देखा और तेजी से उनके कमरे से बाहर निकल गया। 

जैसे ही मृदुल बाहर निकला.. वहाँ पर एक मेड मृदुल के इंतजार में खड़ी थी।

"रनवीर सर ने मुझे आपको अंजू मैडम के रूम तक ले जाने के लिए कहा था.. अगर आपको और कुछ काम नहीं है तो मैं आपको अंजू मैडम के रूम तक छोड़ देती हूं।" उस मेड ने कहा।

"नहीं..! मैं भी वहीं जाने के लिए पूछने वाला था। चलिए बता दीजिए उनका रूम के लिए कहां पर जाना होगा??" मृदुल ने कहा।

"आइये..!!" कहकर वो मेड आगे आगे चलकर मृदुल को अंजू के रूम का रास्ता बताने लगी। मृदुल भी उसके पीछे-पीछे चलता हुआ अंजू के रूम के बाहर पहुँच गया।

अंजू का कमरा हॉल के दांयी ओर था.. मेड ने अंजू के कमरे की तरफ इशारा कर के कहा, "यही अंजू मैडम का रूम है..! आप चले जाइए मैडम आपका ही वेट कर रही हैं।"

 मेड इतना कहकर वापस चली गई और मृदुल ने आगे बढ़कर डोर नाॅक किया।

अंजू का रूम अवंतिका जी के कमरे की ही तरह बहुत बड़ा और खुला खुला सा था। कमरे में एक तरफ फायरप्लेस थी और उसी के पास एक छोटा सा बार काउंटर बना हुआ था। सेंटर में एक राउंड बेड रखा हुआ था और सामने की दीवार पर पीओपी से मॉडर्न आर्ट पेंटिंग्स बनी हुई थी। कमरे का कलर पीच और पिंक के कांबिनेशन का था। उसी कॉमिनेशन के परदे लगे हुए थे। कमरे के लेफ्ट हैंड साइड बाथरूम का दरवाजा था और उसी के पास एक ओपन बालकनी दिखाई दे रही थी.. जो सीधे गार्डन एरिया में खुलती थी। कमरे के अंदर बैठने के लिए दो काउच और दो बीन बैग्स रखे हुए थे। 

एक काउच पर अंजू बैठी हुई थी और रिद्धि बीन बैग पर बैठी थी। जैसे ही मृदुल ने उस रूम में एंट्री की रिद्धि ने उसे देखते ही मुंह बना लिया और कहा, "इंस्पेक्टर..! पुलिस वाले इतने ज्यादा वेेल्ले हो गए हैं कि हमारे कंप्लेंट वापस लेने के बाद भी आप लोग अनीता को ढूंढ रहे हैं।  सिटी में क्राइम बंद हो गए क्या..?" 

 रिद्धि ने टोंट मारा.. मृदुल के पास उस समय कुछ भी बोलने के लिए शब्द नहीं थे.. इसलिए उसने बस हल्का सा मुस्कुरा कर सर झुका लिया। तभी अंजू ने रिद्धी को टोकते हुए कहा, "बिहेव रिद्धि..! तुम्हें इंस्पेक्टर से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए?? आप बैठिए इंस्पेक्टर..! आपको जो भी पूछना है.. आप पूछ सकते है।"  अंजू ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

 मृदुल सामने रखे काउच पर जाकर बैठ गया और उसने कहा, "थैंक्स मैडम..! मुझे बस अनीता जी के बारे में कुछ सवाल करने थे??"

"पूछिए इंस्पेक्टर.. क्या सवाल थे आपके..??" अंजू ने कहा।

 "मुझे बस कुछ सवाल रिद्धि जी से भी करने थे।" मृदुल ने रिद्धी की तरफ देखते हुए कहा।

 "सॉरी इंस्पेक्टर..! मैं किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना चाहती।"  रिद्धि ने मुंह बनाते हुए कहा। 

"रिद्धि अगर वह कुछ पूछना चाहते हैं तो तुम्हें सीधे से जवाब देने में कोई तकलीफ है क्या..?? तुम चुपचाप जो भी इंस्पेक्टर पूछना चाहते हैं उनके सवालों का जवाब दो!!"  अंजू ने रिद्धि को लगभग डांटते हुए कहा। 

 "मॉमऽऽ..!!" रिद्धि ने काउच से उठते हुए कहा।

 "बस..! तुम्हें क्वेश्चन के आंसर देने हैं.. एंड डेट्स फाइनल!!"  अंजू ने रिद्धि को लगभग धमकाते हुए कहा।

 रिद्धि पैर पटकते हुए वहीं काउच पर फिर से बैठ गई और कहा,  "जो भी पूछना है.. फटाफट पूछ लीजिए। मुझे कहीं बाहर भी जाना है।"

"आपको अनीता जी से कुछ प्रॉब्लम थी क्या??" मृदुल ने अचानक से रिद्धी से इस बारे में पूछा तो रिद्धि का मुंह बन गया।

 "मुझे अनीता से कोई प्रॉब्लम नहीं थी। वह खुद ही एक प्रॉब्लम थी.. ना तो उसमें बोलने के तरीके थे.. ना हीं काम करने के.. ना हीं रहने के। कहीं भी पब्लिकली ले जाने के लायक ही नहीं थी। सो कॉल्ड मिडल क्लास मेंटालिटी वाली बहन जी। एक बार गलती से मेरे फ्रेंड्स के सामने आ गई थी.. तब से अभी तक वह लोग अनीता का नाम लेकर मेरा मजाक बनाते रहते हैं। अच्छा हुआ कि वह भाग गई। अब तो मेरे भाई को एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर मिलेगा.. जो हमारे ही स्टेटस का होगा।"  रिद्धि ने मुंह बनाते हुए कहा।

 "कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने ही अनीता को कुछ कहा हो.. जिसकी वजह से वह घर छोड़कर चली गई??"  मृदुल के इस सवाल पर अंजू ने झटके से रिद्धि की तरफ देखा। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े घबराए हुए से दिख रहे थे।

  अंजू बार-बार यही सोच रही थी कि "कहीं गलती से भी रिद्धि कुछ उल्टा सीधा ना बोल दे.. जिससे फ्यूचर में हम लोगों को रिद्धि के इस स्टेटमेंट के कारण कोई प्रॉब्लम हो जाए।"

 "मुझे कोई जरूरत नहीं थी.. उसके मुंह लगने की.. और वैसे भी मैं सिर्फ उन्हीं लोगों से बात करती हूं.. जो मेरे लेवल के होते हैं। किसी ऐरे गैरे से बात करके मैं अपना टाइम और एफर्ट्स वेस्ट नहीं कर सकती। और वैसे भी.. मैंने खुद ने उसे कई बार छुप छुप के किसी से फोन पर बात करते देखा था। मैंने इस बारे में भाई को भी बताया था.. पर शायद भाई ने मेरी बात को सीरियसली नहीं लिया। अच्छा हुआ कि नहीं लिया थोड़े से पैसे ही तो लेकर भागी है.. कम से कम जान तो छूटी उस बहन जी से..!!"  ऐसा कहते हुए रिद्धि उस काउच से उठ खड़ी हुई।

"छुप छुपकर बात करती थी से मतलब..??" मृदुल ने पूछा।

"आपको नहीं पता के छुप छुपकर बात करने का क्या मतलब होता है..??" रिद्धि के चेहरे पर ये बोलते हुए एक अजीब से रहस्यमयता से भरे भाव थे।

"इससे आगे मुझे कुछ भी कहने की या समझाने की जरूरत नहीं है..!! आप खुद भी काफी समझदार मालूम होते हैं!!" रिद्धि ने कहा और कमरे से बाहर चली गई।

अंजू को रिद्धी का मृदुल के सामने इस तरह से बात करना पसंद नहीं आया था।  उसे डर था कि कहीं रिद्धि का यह बर्ताव पुलिस के मन में उन लोगों के लिए कोई शक पैदा ना कर दे।  इसीलिए अंजू के चेहरे के एक्सप्रेशन कुछ उड़े उड़े से नजर आ रहे थे। मृदुल ने भी अंजू के चेहरे की उड़ी हुई रंगत नोटिस कर ली थी।  उसे यह देखकर रुद्र की थ्योरी और आसपास के लोगों की बातें सच ही नजर आ रही थी। कुछ देर तक मृदुल ने अनीता के एक्सप्रेशन नोटिस किये और जैसे ही वह कुछ नॉर्मल हुई मृदुल ने सवाल किया।

 "मैडम अनीता जी से आप लोगों की खटपट चलती थी क्या..??"  इस सवाल से अंजू थोड़ा हड़बड़ा गई और घबराते हुए कहा, "नो..! नॉट एट ऑल इंस्पेक्टर..! बस इतनी ही खटपट होती थी जितनी यूजुअली सास बहू हमें होती है।" अंजू ने एक एक शब्द सोच समझकर कहा। 

 "तो फिर रिद्धि जी के यह सब कहने का क्या मतलब था.. कि अच्छा हुआ.. वह खुद घर छोड़कर चली गई।" 

 "इंस्पेक्टर..! अनीता का स्वभाव किसी से भी घुलने मिलने का नहीं था। उसे बस अपने मन की करने की आदत थी.. इसीलिए अगर कोई भी उससे बात करने की कोशिश करता तो वह खुद उन से लड़ लेती थी। इसी वजह से घर के किसी भी मेंबर की उसके साथ नहीं बनती थी।" अंजू ने रिद्धी की उस बात को रफू करते हुए कहा।

 "आपको अनीता के फ्रेंड्स,  उसके रिलेटिव्ज, और उसकी फैमिली के बारे में क्या पता है?? मतलब कौन-कौन है और उनके अनीता के साथ रिलेशंस कैसे हैं?? क्या वह यहां से कहीं गई है तो उनमें से किसी के पास जा सकती है??"

 "मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। अनीता का जिस तरह का स्वभाव था.. उसके हिसाब से फ्रेंड तो उसके थे नहीं और रिलेटिव्ज से उसकी बनती नहीं थी। हां..! फैमिली में बस उसके पापा थे.. उनके पास हमने पता करवा लिया है.. अनीता वहां नहीं गई है।" अंजू ने बताया।

 "आखिरी बार अनीता अपने पापा से मिलने कब  गई थी??" मृदुल ने पूछा तो अंजू के बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि इस सवाल ने उसे बहुत ही ज्यादा परेशान कर दिया था।

क्रमशः....


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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

04-Jun-2022 06:12 PM

बेहतरीन रचना

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Shnaya

03-Jun-2022 06:55 PM

बहुत खूब

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Shrishti pandey

27-May-2022 12:58 PM

Very nice

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Aalhadini

27-May-2022 02:11 PM

🙏🙏

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